संविधानवाद का अर्थ एवं विशेषताएं
संविधानवाद का अर्थ
संविधानवाद की परिभाषाएं
संविधानवाद की परिभाषा - संविधानवाद प्रजातांत्रिक भावना एवं व्यवस्था पर आधारित एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था है जो कानून और नियम से संचालित होती है और जिस में शक्तियों के केंद्रीकरण एवं निरंकुश संप्रभुता के लिए कोई स्थान नहीं है संविधानवाद की प्रमुख विशेषताएं अलग-अलग विशेषज्ञों के अलग -अलग होती है—
(1) पिनाक और स्मिथ के अनुसार, संविधानवाद उन विचारों और सिद्धांतों की ओर संकेत करता है जो उस संविधान का विवेचन और समर्थन करते हैं तथा जिनके माध्यम से राजनीतिक शक्ति पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करना संभव होता है।
(2)कोरी और अब्राहिम के अनुसार, स्थापित संविधान के निर्देश के अनुरूप शासन को संविधानवाद माना जाए।
परिभाषाओं की समीक्षा— संविधानवाद की उपर्युक्त परिभाषा सेक्ष स्पष्ट होता है की संविधानवाद एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था है जिस का संचालन कानून और नियमों के द्वारा होता है व्यक्तियों के द्वारा नहीं इसमें शक्तियों के केंद्रीकरण और निरंकुश संप्रभुता को कोई स्थान नहीं दिया जाता है संसद में इसके द्वारा राजनीतिक शक्ति पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करना संभव होता है।
संविधानवाद के आधार-श
1-संस्थाओं के ढांचे और प्रक्रियाओं पर मतैक्य -
संविधानवाद का आधार - संवैधानिक सरकार के लिए यह आवश्यक ही नहीं वरन अनिवार्य है कि नागरिकों में राजनीतिक संस्थाओं के ढांचे और प्रक्रियाओं पर मतैक्य हो। यदि नागरिकों का बड़ा समूह यह अनुभव करता है कि सरकार उनके हित में है और अन्याय पूर्ण ढंग से शासन संचालित करती है तो वह उस सरकारी व्यवस्था को स्वीकार नहीं करेंगे।
2-समाज के सामान्य उद्देश्य पर सहमति-
संविधानवाद के लिए आवश्यक है कि नागरिकों में सामान्य उद्देश्यों पर सहमति होनी चाहिए। यदि समाज में सामान्य उद्देश्यों पर सहमति नहीं होती है तो राजनीतिक व्यवस्था में तनाव और खिंचाव उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार के समाज के सामान्य उद्देश्यों पर सहमति न होने की परिस्थिति संपूर्ण संवैधानिक ढांचे को अस्त-व्यस्त कर सकती है।
3-सरकार के आधार के रूप में विधि के शासन की आवश्यकता पर सहमति-
संविधानवाद का एक महत्वपूर्ण आधारी हो है की राजनीतिक समाज के नागरिक इस बात पर सहमति व्यक्त करें कि सरकार के संचालन का आधार विधि का शासन हो यद्यपि कुछ असामान्य परिस्थितियों में स्थिति उसके विपरीत भी हो सकती है और जन समुदाय संकट के समय किसी योग्य नेता को संविधानवाद के बंधनों से मुक्त भी कर सकता है।
4-गौण लक्ष्यों व विशिष्ट नीति-
प्रश्नों पर सहमति-संविधानवाद की व्यवहार में उपलब्धि के लिए आवश्यक है कि लक्ष्यो व विशिष्ट नीति प्रश्नों पर समाज में सहमति हो। यदि इस पर सहमति नहीं होगी तो राजनीतिक व्यवस्था में अनावश्यक तनाव व संदेह उत्पन्न हो सकते हैं।
संविधानवाद की विशेषताएं-
महत्वपूर्ण जानकारी
संविधानवाद क्या है?
संविधानवाद यह ऐसी राजनीतिक विचारधारा अर्थव्यवस्था है जिस का संचालन कानूनों एवं नियमों द्वारा होता है व्यक्तियों की भावनाओं के अनुसार नहीं यह प्रजातांत्रिक भावना तथा व्यवस्था पर आधारित होती है ।
संविधानवाद का जनक कौन है?
संविधानवाद का जनक डा० भीमराव अम्बेडकर जी को कहा जाता है।
संविधानवाद की विशेषता क्या है?
संविधानवाद एक मूल्य संबंध अवधारणा है युवा समाज के मूल्यों विश्वासों ,मान्यताओं ,विचारधारा एवं राजनीतिक आदर्शों से संबंध होता है।
भारत का संविधान कब लागू हुआ?
भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
संविधानवाद की परिभाषा क्या है?
कोरी और अब्राहिम के अनुसार, स्थापित संविधान के निर्देश के अनुरूप शासन को संविधानवाद माना जाए।
भारत के संविधान को बनने में कितना समय लगा?
भारत का संविधान बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे।
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