सविनय अवज्ञा आंदोलन
Civil disobedience movement
सविनय अवज्ञा आंदोलन के बारे में
सविनय अवज्ञा आंदोलन, गांधी जी के नेतृत्व में स्वतंत्रता के लिए किया जाने वाला संघर्ष सतत नहीं था अंत इंजेक्शन और विस्तार की योजना के चरणों के पश्चात सक्रियता के चरण थे 1930 के दशक में एक बार फिर सक्रिय था का एक युग शुरू हुआ सविनय अवज्ञा आंदोलन ,गोलमेज सम्मेलन, संप्रदायिक अधिनिर्णय और पुणे समझौता कांग्रेसका कराची तथा मौलिक अधिकारों एवं आर्थिक कार्यक्रम पर महत्वपूर्ण प्रस्ताव— यह सभी 1930 के दशक के आरंभ में थोड़े समय के भीतर ही पूर्ण हुए।
some important questions and answers
सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू हुआ?
सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ अप्रैल 1930 से शुरू हुआ।
सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू होने के मुख्य कारण?
सविनय अवज्ञा आंदोलन के शुरू होने के मुख्य कारण कांग्रेस का कोलका अधिवेशन एवंलॉर्ड इरविन समझौता तथा लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज जैसे कुछ मुख्य मुद्दे थे।
सविनय अवज्ञा आंदोलन की मांगें क्या थी?
सविनय अवज्ञा आंदोलन की मुख्य मांगे सामान्य से संबंधित थी एवं बुजुर्गों के लिए थी और समझती किसानों के लिए थी।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के मुख्य नेता कौन- कौन थे?
सविनय अवज्ञा आंदोलन के मुख्य नेता महात्मा गांधी पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे अन्य लोग भी थे।
सविनय अवज्ञा आंदोलन होने के कारण क्या थे?
साइमन कमीशन का बहिष्कार। नेहरू रिपोर्ट की अवहेलना। विश्वव्यापी मंदी के कारण किसान और अन्य लोगों का जीवन बेहाल हो गया था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण
(1) कांग्रेस का कोलकाता अधिवेशन-
सविनय अवज्ञा आंदोलन : दिसंबर 1928 में कांग्रेस का अधिवेशन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कोलकाता में हुआ इस अधिवेशन में नेहरू रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया लेकिन कांग्रेस के युवा नेतृत्व मुखिया जवाहरलाल नेहरू सुभाष चंद्र बोस एवं सत्यमूर्ति कांग्रेस द्वारा डोमिनियन स्टेटस अधि राज्य का दर्जा को अपना मुख्य लक्ष्य घोषित किए जाने पर गहरा संतोष व्यक्त किया । इसके स्थान पर उन्होंने मांग की कि पूर्ण स्वराज यह पूर्ण स्वतंत्रता को कांग्रेस अपने लक्ष्य घोषित करें इस अवसर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं जैसे महात्मा गांधी तथा मोतीलाल नेहरू का मत था कि डोमिनियन स्टेटस की मांग को इतनी जल्दबाजी में अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि बड़ी मुश्किल से इस मांग पर आम सहमति बन सकी है उन्होंने सऊदिया की डोमिनियन स्टेटस की मांग को मानने के लिए सरकार को 2 वर्ष की मोहलत दी जानी चाहिए बाद में युवा नेताओं के दबाव के कारण मोहल्ले की अवधि 2 वर्ष से घटाकर 1 वर्ष कर दी गई। इस अवसर पर कांग्रेस ने यह प्रतिबद्धता जाहिर की कि यदि सरकार ने डोमिनियन स्टेटस पर आधारित संविधान को 1 वर्ष के अंदर पेश नहीं किया तो कांग्रेस ना केवल पूर्ण स्वराज को अपना लक्ष्य घोषित करेगी बल्कि इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु हो सविनय अवज्ञा आंदोलन भी प्रारंभ करेगी।
(2) 1929 के दौरान राजनीतिक गतिविधियां -
सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण में जनता को सीधे राजनीतिक संघर्ष के लिए तैयार करने हेतु वर्ष 1929 में गांधी जी ने निरंतर पूरे देश का दौरा किया विभिन्न स्थानों पर उन्होंने सभाओं को संबोधित किया तथा युवाओं से नए राजनीतिक संघर्ष हेतु तैयार रहने का आग्रह किया 1929 की यात्राओं से पहले जहां गांधी जी का मुख्य जोर रचनात्मक कार्यों पर हो रहा था वहीं अब उन्होंने जनता को सीधी राजनीतिक कार्यवाही के लिए तैयार करना प्रारंभ कर दिया।
1929 की कुछ अन्य घटनाओं से स्थिति स्थिति और विस्फोटक हो गई तथा पूरे राष्ट्र के लोगों में अंग्रेज विरोधी भावनाएं जागृत हो उठी इन घटनाओं में मेरठ परितंत्र केस भगत सिंह एवं बटुकेश्वर दत्त द्वारा केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट तथा मई माह में इंग्लैंड में राम जी मैकडोनाल्ड की लेबर पार्टी का सत्ता में आना प्रमुख थी।
(3) लॉर्ड इरविन की घोषणा ( 31 अक्टूबर 1929)-
सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण में साइमन कमीशन की रिपोर्ट शॉप जाने से पूर्व लॉर इरविन ने घोषणा की युवा लेकर पार्टी की सरकार और एक कंजरवेटिव वायसराय का संयुक्त प्रयास था उद्घोषणा के पीछे ब्रिटिश नीति के अंतिम उद्देश्य के प्रति निष्ठा बनाए रखने का लक्ष्य था 31 अक्टूबर 1929 को भारतीय राजकीय पत्र में शासकीय विज्ञापित के रूप में उद्घोषणा की गई इसमें कहा गया 1919 कि संविधान को लागू करने में ब्रिटिश सरकार के मंत्री को लेकर व्याख्या के संबंध में ग्रेट ब्रिटेन और भारत दोनों में अभिव्यक्त संदेशों के संदर्भ में महारानी की ओर से मुझे स्पष्ट रूप से यह कहने का आदेश हुआ कि सरकार के निर्णय में 19 सत्रह की उद्घोषणा बात नहीं है कि भारत के संवैधानिक विकास का स्वाभाविक मुद्दा जैसा कि उन्होंने सोचा था डोमिनियन स्टेटस की प्राप्ति है।
लॉर्ड इरविन ने यह भी वादा किया कि जैसे ही साइमन कमीशन में रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगा एक गोलमेज सम्मेलन बुलाया जाएगा।
(4) लाहौर अधिवेशन और पूर्ण स्वराज-
दिसंबर 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ इस ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस के पूर्ण स्वराज का घोषणा पत्र तैयार किया गया तथा इस कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोषित किया गया जवाहरलाल नेहरु जिन्होंने पूर्ण स्वराज के विचार को लोकप्रिय बनाने में सर्वाधिक योगदान दिया था इस अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गए जवाहरलाल नेहरू को अध्यक्ष बनाने में गांधीजी ने निर्णायक भूमिका निभाई नेहरू का 18 प्रांतीय कांग्रेसियों में से सिर्फ तीन का समर्थन प्राप्त था यदि बहिष्कार की लहर में युवाओं के सराहनीय प्रयास को देखते हुए महात्मा गांधी ने इस चुनौतीपूर्ण में कांग्रेस का सभापति जवाहरलाल नेहरू को सौंपा।
जवाहरलाल नेहरू क्या जल्दी चुने जाने के कारण थे- उनके पूर्ण स्वराज के प्रस्ताव को कांग्रेस ने अपने मुख्य लक्ष्य बनाने का निश्चय कर लिया था तथा उन्हें गांधीजी का पूर्ण समर्थन प्राप्त था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन नमक सत्याग्रह एवं अन्य विप्लव -
गांधी जी की 11 सूत्रीय मांगे -
सामान्य हित से संबंधित मुद्दे-
★सिविल सेवाओं तथा सेनाओं के विषय में 50% तक की कमी की जाए।
★नशीली वस्तुओं के विक्रय पर पूर्ण रोक लगाई जाए।
★सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए।
★डाक आरक्षण बिल पास किया जाए।
विशिष्ट बुजुर्गों वर्ग वर्ग की मांगे-
★रक्षात्मक शुल्क लगाए जाएं तथा विदेशी कपड़ों का आयात नियंत्रित किया जाए।
★तटीय यातायात रक्षा विधेयक पास किया जाए।
किसानों की विशिष्ट मांगे-
★लगाने 50% की कमी की जाए।
★नमक कर समाप्त किया जाए एवं नमक पर सरकारी एकाधिकार खत्म कर दिया जाए।
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