समाजवाद क्या है? अर्थ,परिभाषा,विशेषताएं- letest education

 समाजवाद का अर्थ व परिभाषा

राज्य के कार्य क्षेत्र के संबंध में आधुनिक काल में समाजवाद सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा लोकप्रिय सिद्धांत रहा है। यह व्यक्ति वादा पूंजीवाद के विरुद्ध एक तीव्र प्रतिक्रिया है तथा यह एक राजनीतिक दर्शन है तथा एक महान आंदोलन भी है। समाजवाद की विचारधारा मात्र ही नहीं है वरन यह एक आदर्श ,एक दर्शन, एक धर्म ,एक विचार, एक सिद्धांत, एक नीति, एक विश्वास तथा एक जीवन- प्रणाली आदि सभी रूपों में प्रयुक्त होता है। राजनीतिक क्षेत्र में से कुछ विशिष्ट सिद्धांतों पर आधारित एक आंदोलन का नाम दिया गया है जो केवल राजनीतिक में होकर मूल रूप में आर्थिक है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय धर्म का अधिक न्याय पुणे वितरण करना है जिससे कि सर्वसाधारण को पूंजी पतियों के शोषण से बचाया जा सके तथा सभी क्षेत्र में न्याय व्यवस्था की स्थापना की जा सके।

  समाजवाद का स्वरूप भी सदैव एक सा नहीं रहा है। समय तथा परिस्थिति के आधार पर इसके स्वरूप में संशोधन परिवर्तन तथा परिवर्तन होता रहा है वस्तुतः समाजवाद एक प्रगतिशील तथा परिवर्तन की विचारधारा है इसकी विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न परिभाषाएं की है इसलिए समाजवाद के विषय में प्रो० सी०एम० जोड़ ने कहा है कि संक्षेप में समाजवाद एक ऐसे टोप की भांति है जिसकी शक्ल विकृत हो चुकी है क्योंकि हर कोई व्यक्ति से पहनता है। 

समाजवाद क्या है? अर्थ,परिभाषा,विशेषताएं- letest education

समाजवाद की परिभाषा

वैसे तो समाजवाद की अनेक परिभाषाएं हैं। यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि जितने विचारकों ने समाजवाद पर विचार किया है या लिखा है या समाजवाद का कार्यक्रम प्रस्तुत किया है उतनी ही समाजवाद की परिभाषा ही हैं- 

हम्फ्रे के अनुसार “समाजवाद एक सामाजिक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत जीवन के साधनों पर संपूर्ण समाज का स्वामित्व होता है और पूरा समाज सम्मानित कल्याण को बढ़ाने के उद्देश्य से उनका विकास और प्रयोग करता है।”

एमाइल के अनुसार “यह श्रमिकों का एक ऐसा संगठन है जिसका उद्देश्य पूंजीवादी व संपत्ति को समाजवादी संपत्ति में परिवर्तित करने के लिए राजनीति सत्ता प्राप्त करना है।”

रैम्जे मैकडोनाल्ड के अनुसार साधारण भाषा में समाजवाद की सबसे अच्छी परिभाषा यह है कि उसका उद्देश्य समाज की आर्थिक व भौतिक साधनों का संगठन करना तथा मानव- साधनों द्वारा उसका नियंत्रण करना है।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि जितनी भी परिभाषाएं दी गई हैं उस हिसाब से  यह निष्कर्ष निकलता है की समाजवाद पूंजीवाद का घोर विरोधी है तथा वह पूंजीवाद और असमानता को समाप्त करना चाहता है और यह उत्पादन के साधनों (भूमि तथा उद्योग आदि )पर समाज का नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। वस्तु तो हो समाजवाद व्यक्ति की सबसे अधिक समानता का सिद्धांत प्रस्तुत करता है यह एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था का आदर्श प्रस्तुत करता है जिसमें व्यक्ति भौतिक चिंताओं से मुक्त होकर अपनी इच्छा अनुसार अपना जीवन व्यतीत कर सके और स्वतंत्रता पूर्वक अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके।

 समाजवाद की विशेषताएं 

(1)व्यक्तिगत संपत्ति का उन्मूलन-

सभी समाजवादियों का विचार है कि व्यक्तिगत संपत्ति का उन्मूलन होना चाहिए व्यक्तिगत संपत्ति के फल स्वरुप पूंजीवाद पनपता है तथा शोषण तथा असमानता में वृद्धि होती है तथा समस्त समाज शोषक तथा शोषित वर्गों में विभाजित हो जाता है अतः समाज के समस्त संपत्ति का सामाजिकरण होना चाहिए जिससे उसका लाभ सभी को समान रूप से मिल सके तथा सभी का जीवन सुखमय हो वस्तुत हो समाजवादी विचारधारा स्वतंत्रता की अपेक्षा आर्थिक समानता को अधिक महत्व देती है इस संबंध में लॉस्की का विचार है कि समाजवाद के अनुसार आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता व्यर्थ है।

(2)समानता-

 समाजवादी कैसे स्वतंत्र समाज में विश्वास करता है जो व्यक्ति की समानता के सिद्धांत पर आधारित हो इस समाज में सभी विशेष अधिकारों का अंत कर दिया जाएगा और सभी को परिश्रमिक काम के अनुसार दिया जाएगा इस समाज में प्रत्येक व्यक्ति को शर्म करना आवश्यक होगा वस्तुतः समाजवाद सामाजिक विषमता को नष्ट करके सामाजिक समानता स्थापित करना चाहता है लावेलिऐ  के अनुसार प्रत्येक समाजवादी सिद्धांत का देरी है कि सामाजिक व्यवस्था में अधिक से अधिक समानता लाई जाए समाजवाद सबको सम्मान करने वाला और एक स्तर पर लाने वाला सिद्धांत है।

(3)व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा का अंत-

 इस अवस्था में व्यक्तिगत  प्रतिस्पर्धा की भावना पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगी प्रत्येक व्यापार और व्यवसाय में श्रमिकों को उचित वेतन दिया जाएगा इस अवस्था में सभी कार्य सहयोग के आधार पर किए जाएंगे डॉ गेस्ट के अनुसार समाजवाद प्रतियोगिता के स्थान पर सहयोग लान चाहता है।

(4)कला तथा प्रतिभा का विकास होता है -

 समाजवादी व्यवस्था में कला तथा प्रतिभा का विकास होता है तथा मनुष्य में स्वालंबन की भावना रहती है क्योंकि उनका शोषण नहीं होता।

(5)उत्पादन नियोजित ढंग से होता है -

 समाजवादी व्यवस्था में उत्पादन नियोजित ढंग से होता है तथा वस्तुओं का उत्पादन आवश्यकतानुसार होता है, कम व अधिक नहीं।

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समाजवाद की परिभाषा क्या है?

समाजवाद पूंजीवाद का घोर विरोधी है तथा वह पूंजीवाद और असमानता को समाप्त करना चाहता है और यह उत्पादन के साधनों (भूमि तथा उद्योग आदि )पर समाज का नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। वस्तु तो हो समाजवाद व्यक्ति की सबसे अधिक समानता का सिद्धांत प्रस्तुत करता है यह एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था का आदर्श प्रस्तुत करता है जिसमें व्यक्ति भौतिक चिंताओं से मुक्त होकर अपनी इच्छा अनुसार अपना जीवन व्यतीत कर सके और स्वतंत्रता पूर्वक अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके।

समाजवाद का अर्थ?

राज्य के कार्य क्षेत्र के संबंध में आधुनिक काल में समाजवाद सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा लोकप्रिय सिद्धांत रहा है। यह व्यक्ति वादा पूंजीवाद के विरुद्ध एक तीव्र प्रतिक्रिया है तथा यह एक राजनीतिक दर्शन है तथा एक महान आंदोलन भी है। समाजवाद की विचारधारा मात्र ही नहीं है वरन यह एक आदर्श ,एक दर्शन, एक धर्म ,एक विचार, एक सिद्धांत, एक नीति, एक विश्वास तथा एक जीवन- प्रणाली आदि सभी रूपों में प्रयुक्त होता है।

समाजवाद की विशेषताएं क्या है?

समाजवाद की विशेषताएं यह है की व्यक्तिगत संपत्ति का उन्मूलन, सामुदायिक जीवन की सर्वोपारिता, समानता, व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा का अंत , समाज का उद्देश्य पूंजीवाद का उन्मूलन करना है आदि।

सामाजवाद उद्देश्य क्या है?

समाजवाद का उद्देश्य पूंजीवाद का घोर विरोधी है।

समाजवाद का जनक किसे कहते हैं?

कार्ल हेनरिक मार्क्स को समाजवाद का जनक कहते हैं।

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