मॉर्ले - मिंटो सुधार 1909 क्या है? विशेषताएं तथा मूल्यांकन

 मॉर्ले - मिंटो सुधार
 भारतीय परिषद अधिनियम 1909

मॉर्ले - मिंटो सुधार (marle minto sudhar) ; अक्टूबर 1909 आगा खान के नेतृत्व में एक मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल जिसे से शिमला प्रतिनिधिमंडल कहा जाता है। वॉइस राय लॉर्ड मिंटो से मिला और मांग की कि मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की जाए तथा मुसलमानों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए प्रतिनिधिमंडल में तर्क दिया कि उनके साम्राज्य की सेवा के लिए उन्हें पृथक समुदायिक प्रतिनिधित्व बन दिया जाए।

  1909 ढाका में नवाब सलीमुल्लाह नवाब मोहन सिंह उल मुल्क और वकार उल मुल्क द्वारा मुस्लिम लीग की स्थापना की गई लॉर्ड मिंटो से मिलने वाला यह प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही मुस्लिम लीग में सम्मिलित हो गया मुस्लिम लीग ने मुसलमानों को साम्राज्य के प्रति निष्ठा प्रकट करने की शिक्षा दी तथा मुस्लिम बुद्धिजीवियों को कांग्रेस से पृथक रखने का प्रयास किया। इसके अतिरिक्त कांग्रेस द्वारा प्रतिवर्ष सुधारों की मांग काटने नरेंद्र को संतुष्ट करने अतीत वादियों के प्रभाव को कम करने तथा क्रांतिकारी राष्ट्रवाद को रोकने के लिए भी सुधार किया जाना आवश्यक हो गया था।

     अन्य ब्रिटिश उपनिवेश ओं के समान स्वशासन की कांग्रेस की मांग को ब्रिटिश शासन के सम्मुख रखने के लिए गोपाल कृष्ण गोखले भी जॉन मार्ले भारत सचिव से मिलने के लिए चले गए।

1909 के अधिनियम की विशेषताएं

marle minto sudhar मुख्य सुधार- 

वॉइसराय लॉर्ड मिंटो और भारत सचिव जॉन मार्ले उदारवादी और मुस्लिमों द्वारा प्रस्तुत कुछ सुधारों पर सहमत हुए उन्होंने सुधारों और उपायों का एक दस्तावेज तैयार किया जिसे मार्ले मिंटो( या मिंटो मार्ले) सुधार के नाम से जाना गया और जो भारतीय परिषद अधिनियम उन्नीस सौ नौ के रूप में रूपांतरित हुआ।

(1) इस अधिनियम के अनुसार केंद्रीय एवं प्रांतीय विधान परिषदों में निर्वाचित सदस्यों की संख्या में वृद्धि कर दी गई प्रांतीय विधान परिषदों में गैर सरकारी बहुमत स्थापित किया गया किंतु उनमें से कुछ गैर सरकारी सदस्य नामांकित होते थे ना कि निर्वाचित जिनके कारण निर्वाचित सदस्यों की तुलना में अभी भी अनिर्वाचित सदस्यों की संख्या अधिक बनी रही।

(2) सुमित सरकार के अनुसार केंद्रीय व्यवस्थापिका सभा में 60 सदस्य और 9 पदेन सदस्य होते थे इन 69 सदस्यों में से 37 सरकारी अधिकारी और 32 गैर सरकारी सदस्य थे 32 गैर सरकारी सदस्यों में से पांच नामजद एवं 27 चुने हुए सदस्य निर्वाचित श्रद्धा सदस्यों में से 8 सीटें प्रथम निर्वाचित क्षेत्र के अंतर्गत मुस्लिमों के लिए आरक्षित थी जबकि चार सीटें ब्रिटिश पूंज पतियों के लिए तथा 2 सीटें जमीदारों के लिए थी और 13 सीटें सामान्य निर्वाचन के अंतर्गत आते थे।

कुछ विद्वानों और नेताओं के मत या उनके द्वारा कहे गए शब्द- 

यह सुधार ब्रिटिश राज्य को सुरक्षित नहीं कर देंगे किंतु इन सुधारों से भारतीयों को भी कुछ प्राप्त नहीं होगा।

                                                             - लॉर्ड मार्ले


1909 के सुधारों द्वारा प्रथक निर्वाचक मंडल स्थापित करने करके हम नाग के दांत रहे हैं इसके परिणाम विशन होंगे।

                           - लॉर्ड मार्ले (लॉर्ड मिंटो को लिखे पत्र में)


1909 के सुधारों से भारतीय राजनीतिक प्रश्न करना कोई हल हो सकता है और ना ही इससे वह हो सका।

                                                         - मोंटफोरड रिपोर्ट 

 उनके चारों ओर राजनीतिक घेराबंदी कर दी गई उन्हें शेष भारत से पृथक कर दिया गया एक ऐसी प्रक्रिया की शुरुआत की गई जिसका प्रभाव कई वर्षों तक रहा प्रारंभ में घेराबंदी अत्यंत छोटी सी मतदाताओं के लिए अत्यंत सीमित थी किंतु धीरे-धीरे इस के विकसित होने के साथ ही इसने पूरी राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करना आरंभ कर दिया इसका प्रभाव ठीक उसी प्रकार था जिस प्रकार कैंसर धीरे-धीरे शरीर के सभी अंगों को विनष्ट कर देता है।

                                                         - जवाहरलाल नेहरू


मार्ले मिंटो सुधार ओने उभरते हुए प्रजातंत्र को जान से मार डाला है।

                                                           -के.एम. मुंशी 

★निर्वाचित सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चूने जाते थे। स्थानीय निकायों से एक निर्वाचक मंडल का गठन होता था यहां प्रांतीय विधान परिषद दो के सदस्यों का निर्वाचन करता था प्रांतीय विधान परिषद के सदस्य केंद्रीय व्यवस्थापिका के सदस्यों का निर्वाचन करते थे।

★गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी में एक भारतीय सदस्य को नियुक्त करने की व्यवस्था की गई पहले भारतीय सदस्य के रूप में सत्येंद्र सिन्हा को नियुक्त किया गया। 

मॉर्ले - मिंटो सुधार का मूल्यांकन

 1909 के सुधारों से भारतीय राजनीतिक प्रश्न का ना कोई हल हो सकता था और न ही इससे वह निकला अप्रत्यक्ष चुनाव सीमित मताधिकार तथा विधान परिषद की सीमित शक्तियों ने प्रतिनिधि सरकार को मिश्रण से बना दिया लॉर्ड मार्ले ने स्पष्ट तौर पर कहा कि भारत स्वशासन के योग्य नहीं है कांग्रेस द्वारा प्रतिवर्ष स्वशासन की मांग करने के पश्चात भी माल लेने स्पष्ट तौर पर उसे ठुकरा दिया उसने भारत में संसदीय शासन व्यवस्था या उत्तरदाई सरकार की स्पष्ट स्थापना का स्पष्ट विरोध किया। उसने कहा दिया कि यदि यह कहा जाए कि सुधारों के इस अध्याय से भारत में सीधे अथवा अवश्यंभावी संसदीय व्यवस्था स्थापित कन्या अथवा होने में सहायता मिलेगी तो मेरा इसमें कोई संबंध नहीं होगा।

   वास्तव में 1909 के सुधारों का मुख्य उद्देश्य उदार वादियों को दिग्भ्रमित कर राष्ट्रवादी दल में फूट डालना तथा सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली को अपनाकर राष्ट्रीय एकता को भी नष्ट करना था सरकार इन सुधारों द्वारा नरमपद्य एवं मुसलमानों को लालच देकर राष्ट्रवाद के उफान को रोकने राज्य सरकार एवं मुस्लिम नेताओं ने जब भी द्विपक्षीय वार्ता की उसका मुख्य विषय पृथक निर्वाचन प्रणाली ही रहा किंतु वास्तव में इस व्यवस्था से मुसलमानों का छोटा वर्ग ही लाभान्वित हो सका।

महत्वपूर्ण जानकारी 

मार्ले मिंटो सुधार कब हुआ?

मार्ले मिंटो सुधार 1909 हुआ।

1909 के अधिनियम की विशेषताएं?

इस अधिनियम के अनुसार केंद्रीय एवं प्रांतीय विधान परिषदों में निर्वाचित सदस्यों की संख्या में वृद्धि कर दी गई प्रांतीय विधान परिषदों में गैर सरकारी बहुमत स्थापित किया गया किंतु उनमें से कुछ गैर सरकारी सदस्य नामांकित होते थे ना कि निर्वाचित जिनके कारण निर्वाचित सदस्यों की तुलना में अभी भी अनिर्वाचित सदस्यों की संख्या अधिक बनी रही।

मार्ले मिंटो कौन थे?

मार्ले मिंटो भारत के राज्य सचिव तथा भारत के वायसराय थे।

मार्ले मिंटो कौन से देश का था?

मार्ले मिंटो ब्रिटिश देश का था।

Post a Comment

और नया पुराने
Join WhatsApp