भारत सरकार अधिनियम 1935Government of India Act 1935 in
सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा अन्य परिस्थितियां:
भारत सरकार अधिनियम 1935; यद्यपि सरकार 1932-33 के राष्ट्रीय आंदोलन को दमन का सहारा लेकर दबाने में सफल हो गई, तथापि उसे यह एहसास हो गया कि दमन की नीति द्वारा राष्ट्रवादी भावनाओं को ज्यादा दिनों तक दबाया नहीं जा सकता। इसीलिए वह आगामी समय में किसी आंदोलन के जन्म लेने की संभावना को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को स्थाई रूप से दुर्बल करने पर विचार करने लगी। उसने कांग्रेस को विभक्त करने की योजना बनाई।
भारत सरकार अधिनियम 1935 की विशेषता
(1) एक अखिल भारतीय संघ
(2) संघीय व्यवस्था: कार्यपालिका
व्यवस्थापिका:
- ★यह एक अत्यंत विचित्र व्यवस्था थी तथा साधारण प्रचलन के विपरीत थी, जैसा कि उच्च सदन के सदस्यों का चुनाव सीधे मतदाताओंद्वारा तथा निम्न सदन, जो ज्यादा महत्वपूर्ण था,कि सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से किया जाना था।
- ★इसी प्रकार, राजाओं को उच्च सदन के 40% तथा निम्न सदन के तत्व परिषद सदस्य मनोनीत करने थे।
- ★समस्त विषयों का बंटवारा तीन सूची में किया गया—केंद्रीय सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची।
- ★संघीय सभा के सदस्य मंत्रियों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव ला सकते थे।किंतु राज्य परिषद में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता था ।
- ★धर्म-आधारित एवं जाति-आधारित निर्वाचन व्यवस्था को आगे भी जारी रखने की व्यवस्था की गई।
- ★संघीय बजट का 80% भाग ऐसा था जिस पर विधानमंडल मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता था।
(3) प्रांतीय स्वायत्तता
प्रांतों को स्वायत्तता प्रदान की गई। ★प्रांतों को स्वायत्तता एवं पृथक विधिक पहचान बनाने का अधिकार दिया गया।
★प्रांतों को भारत सचिव एवं गवर्नर जनरल के 'आलाकमान वाले आदेशों' से मुक्त कर दिया गया।इस प्रकार, अब वे प्रत्यक्ष और सीधे तौर पर महामहिम सम्राट के अधीन आ गए।
★प्रांतों को स्वतंत्र आर्थिक शक्तियां एवं संसाधन दिए गए। प्रांतीय सरकारी स्वयं की साख पर ऋण ले सकती थी। कार्यपालिका ★गवर्नर, प्रांत में सम्राट का मनोनीत प्रतिनिधि होता था, जो महामहिम सम्राट की ओर से समस्त कार्यों का संचालन एवं नियंत्रण करता था।
★गवर्नर को अल्पसंख्यकों, लोक सेवकों के अधिकारों, कानून एवं व्यवस्था, ब्रिटेन के व्यापारिक हितों तथा देसी रियासतों इत्यादि के संबंध में विशेष शक्तियां प्राप्त थी।
★यदि गवर्नर यह अनुभव करें कि प्रांत का प्रशासन संवैधानिक उपबंध के आधार पर नहीं चलाया जा रहा है, सुशासन का संपूर्ण बाहर वह अपने हाथों में ले सकता था।।
व्यवस्थापिका
भारत सरकार अधिनियम 1935 की धाराएं
(1) संघीय न्यायालय की स्थापना।(2) नया संविधान अनम्य था। इसमें संशोधन करने की शक्ति केवल अंग्रेजी संसद को ही थी। भारतीय विधानमंडल केवल उसमें संशोधन का प्रस्ताव कर सकता था।
(3)एक केन्द्रीय बैंक की स्थापना की गई।
(4) बर्मा तथा अदन को भारत के शासन से पृथक कर दिया गया। (5) उड़ीसा और सिंध प्रांत बनाए गए तथा उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत को गवर्नर के अधीन कर दिया गया।
भारत शासन अधिनियम 1935 MCQ —
भारत सरकार अधिनियम 1935 में कितनी धाराएं हैं?
321 मुख्य धाराएं हैं।
भारत सरकार अधिनियम 1935 की मुख्य विशेषता क्या है?
भारत सरकार अधिनियम 1935 की मुख्य विशेषता यह है कि भारत की आजादी के बाद भारत की संविधान का सबसे बड़ा हिस्सा इसी से लिया गया है।
भारत सरकार अधिनियम कब शुरू हुआ?
1935 में।
भारत सरकार अधिनियम, 1935 के मुख्य प्रावधान क्या हैं?
भारत सरकार अधिनियम, 193 की मुख्य विशेषता यह थी कि इसने प्रांतीय स्वायत्तता की शुरुआत को चिह्नित किया। प्रांतों को उनके परिभाषित क्षेत्रों में प्रशासन की स्वायत्त इकाइयों के रूप में कार्य करने की अनुमति थी।
भारत सरकार अधिनियम 1935 क्या है?
प्राथमिक उद्देश्य भारतीयों को वह जिम्मेदार सरकार प्रदान करना था जिसकी उन्हें आवश्यकता थी।
भारत सरकार अधिनियम 1935 की मुख्य धाराएं क्या-क्या थी?
(1) संघीय न्यायालय की स्थापना। (2) नया संविधान अनम्य था। इसमें संशोधन करने की शक्ति केवल अंग्रेजी संसद को ही थी। भारतीय विधानमंडल केवल उसमें संशोधन का प्रस्ताव कर सकता था। (3)एक केन्द्रीय बैंक की स्थापना की गई। (4) बर्मा तथा अदन को भारत के शासन से पृथक कर दिया गया। (5) उड़ीसा और सिंध प्रांत बनाए गए तथा उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत को गवर्नर के अधीन कर दिया गया।
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