फासीवाद क्या है - अर्थ, परिभाषा, स्रोत, विकास | Fascism

 फासीवाद का अर्थ 

फासीवाद का अर्थ : फासीवाद का अर्थ है, फासीवाद एक सर्वाधिकार वादी विचारधारा है, जिसक प्रतिपादन इटली के अधिनायक मुसोलिनी ने किया था। इस विचारधारा के अनुसार राज्य ही सब कुछ है व्यक्ति को राज्य के सामने कोई अधिकार नहीं है मुसोलिनी के शब्दों में, “सब राज्य के अंतर्गत है कोई भी राज्य से बाहर नहीं है और ना कोई राज्य का विरोध ही कर सकता है। ”

   यह विचारधारा मूलतः व्यक्तिवाद, लोकतंत्र, समाजवाद तथा अन्य सभी उदारवादी और प्रगतिशील विचारधाराओं की शत्रु निरंकुशवाद समग्र वाद आक्रमण राष्ट्रवाद युद्ध और पूंजीवाद के समर्थक हैं।‘ फासिज्मेंम’ शब्द के ‘Fascio' इटली भाषा के शब्द से बना है जिसका अर्थ लकड़ियों का बंडल और कुल्हाड़ी है यह अनुशासन एकता और शक्ति का प्रतीक है तथा बिजली के फासीवाद उदल का ध्वज चिन्ह भी यही है। 

फासीवाद क्या है - अर्थ, परिभाषा, स्रोत, विकास | Fascism

फासीवाद की परिभाषा (definition of fascism)

फासीवाद की परिभाषा - फासीवाद की परिभाषा करते हो मुसोलिनी ने कहा है की आशीर्वाद कोई ऐसा सिद्धांत नहीं है जिसकी बात को विस्तार पूर्वक पहले से ही स्थिर कर लिया गया हो फासीवाद का जन्म कार्य किए जाने की आवश्यकता के कारण हुआ अथवा फासीवाद सैद्धांतिक होने के स्थान पर आरंभ से ही व्यवहारिक रहा है फासीवाद का कोई निश्चित सिद्धांत नहीं है मुसोलिनी ने इसे वास्तविकता पर आधारित बताया है उन्हीं के शब्दों में फासीवाद वास्तविकता पर आधारित है हम निश्चित तथा वास्तविक उद्देश्यों की प्राप्ति करना चाहते हैं हमारे कार्यक्रम कार्य करना है केवल बातें करना नहीं।”

पं० नेहरू ने फांसी वाद के संबंध में कहा है कि फासीवाद की हो अनोखी विशेषता है कि वह किन्ही निश्चित सिद्धांतों विचारधारा या दर्शन पर आधारित नहीं है। 

सी०डी० बन्स  ने इस शब्दों में कहा है कि असली का आशीर्वाद एक राजनीतिक तथा सामाजिक आंदोलन है जिसका उद्देश्य सामाजिक राजनीतिक व्यवस्था का पुनर्गठन करना है।  

       फासीवाद का विकास 

फासीवाद का विकास : प्रथम महाविद्या के पश्चात वर्साय की संधि इटली के  सम्मान की रक्षा नहीं हुई। इसलिए इटली के वीर सेनानी मुसोलिनी ने एक नवीन विचारधारा को जन्म दिया जिसे फासीवाद कहते हैं। फासीवाद का जन्म युद्ध से हुआ और युद्ध से उनका विनाश भी हुआ । प्रथम महायुद्ध के बाद इटली की आर्थिक दशा अत्यंत सोचनीय हो गई थी ।उधर इटली में कार्ल मार्क्स के विचारों का प्रभाव दिन प्रतिदिन बढ़ रहा था। 1883 ई० में “फास्सिको डी० कोम्बे डाईमेन्टो” नामक संस्था की स्थापना की थी। इस संस्था का कोई कार्यक्रम नहीं था किंतु इतना अवश्य कहा जा सकता है किसकी स्थापना पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध के लिए की गई थी इसका उद्देश्य ऐसी शासन व्यवस्था की स्थापना करना था जिससे राज्य के हित सर्वोपरि हो मुसोलिनी ने उग्र राष्ट्रवाद का समर्थक बना। अपनी इस संस्था को उसने पेशियों के नाम से पुकारा और खुशियों के सदस्यों को फासिस्ट के नाम से पुकारा धीरे-धीरे मुसोलिनी ने इस दल का प्रधान सेनापति बन कर इसका संगठन किया।  इस दल के लोग कार्य कमी पहनते थे इसलिए इसको काली कुर्ती के नाम से पुकारा जाने लगा अपनी दल की विचारधारा का प्रचार करने के लिए मुसोलिनी ने अवंती नामक पत्रिका का संपादन भी किया धीरे-धीरे 1922 ईस्वी तक इस दल की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हो गई अंत में मुसोलिनी ने यह घोषणा की या ताज इटली की सरकार हमारे हाथ में आ जाए नहीं तो हम रूम पर चढ़ाई करनी पड़ेगी मुसोलिनी के प्रभाव को देखकर 29 अक्टूबर 1922 ईस्वी को इटली के राजा ने मुसोलिनी को नवीन सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया सरकार बनाने के उपरांत मुसोलिनी ने आत्मा कर दिया और सभी राजनीतिक दलों को अवैध घोषित कर दिया इसके साथ ही उसने ही सदस्यों की अपनी सरकार में सम्मिलित किया अभी तक मुसोलिनी ने घोषणा की कि कोई नई विचारधारा नहीं है उसने कहा था फासीवाद वास्तविकता पर आधारित है हम निश्चित क वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति करना चाहते हैं मेरा कार्यक्रम कार्य करना है पूरी बातें करना नहीं है  पुणे की कोई निश्चित नहीं है देश काल परिस्थिति के अनुसार हम कुलीन तंत्र और लोकतंत्र एक रूढ़िवादी और प्रगतिवादी प्रतिक्रियावादी वह क्रांतिकारी तथा वैधता वह अवस्था सभी की पोषक हो सकते हैं।  

फासीवाद के स्रोत 

(1) सामाजिक डार्विनवाद

फासीवाद के स्रोत : मुसोलिनी आधुनिक जगत को यह विचारधारा प्रदान की थी कि संसार में संघर्ष है और संगत में केवल शक्तिशाली की विजय निश्चित है इस विचारधारा से प्रभावित होकर मुसोलिनी ने यह निर्णय किया था कि वह शक्ति के बल पर निर्मल को कुचलकर एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना करने में अवश्य ही सफल होगा वह इस बात में विश्वास करता था कि संचार में जीवित रहने के लिए शक्ति ही एक अनिवार्य तत्व है और बलवान द्वारा निर्बल का पतन एक अटल सिद्धांत है युद्ध प्रियता राष्ट्रवाद तथा समाजवाद आदि से संबंधित विचारधाराएं फासीवाद को डार्विनवाद की ही देन है। 

(2) परंपरावाद

फासीवाद पर परंपरा वादी विचारों का भी प्रभाव था वह इस बात में विश्वास करता था कि भविष्य और वर्तमान अतीत पर निर्भर है कोई भी राष्ट्रीय अतीत के गौरव के बिना उन्नति के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता मुसोलिनी ने भी रूम क अतीत का अध्ययन करके तथा इटली के राष्ट्र भक्तों की जीवनी पढ़कर यह कल्पना की थी कि वह इटली को एक महान राष्ट्र बनाएगा। 

(3) आदर्शवाद

फासीवाद पर हीगल के आदर्शवाद का विषेश प्रभाव था। इसी कारण उसे सिंगल के आदर्शवाद का राजनीतिक शिशु कहा जा सकता है इसे आदर्शवाद के आधार पर मुसोलिनी ने उग्र राष्ट्रीयता तथा अधिनायक तत्व की भावना को ग्रहण किया आदर्शवाद के सिद्धांत का पालन करने से ही फासीवाद जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहा। 

(4) व्यवहारवाद

जींस की व्यवहारवाद के अनुसार शक्ति की कोई शाश्वत सत्ता  नहीं है। वह परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित होता रहता है और एक विशेष स्थिति के अंतर्गत सत्य वही है जो हितकर है मुसोलिनी ने कहा कि उसके फासिस्ट दर्शन मूलाधार व्यवहारवाद ही है।  

(5) बुद्धि-  विरोधवाद

 एक दार्शनिक जींस नहीं हुआ बताया था कि संसार की समस्त घटनाओं को बुद्धि से नहीं समझा जा सकता उसका विचार था कि मनुष्य अपने सभी कार्य बुद्धि के स्थान पर आना अंध श्रद्धा और विश्वास से प्रेरित होकर करता है फासीवाद इन विचारधाराओं से अधिक प्रभावित हुआ और मुसोलिनी ने इस बात का यह निष्कर्ष निकाला कि मानव के कार्य तथा व्यवहार बुद्धि से नहीं वरन अन्य कारकों से प्रभावित होते हैं और बुद्धि की अपेक्षा भावना को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। 

     संपूर्ण विश्लेषण को देखकर हम इस लक्ष्य पर पहुंच सकते हैं कि फासीवाद एक अधिनायकवाद शासन है। जिसके अंतर्गत सभी स्रोत से यह ज्ञात होता है कि फासीवाद के निर्माण में विभिन्न विचारकों व ऐतिहासिक मूल्यों का विशेष योगदान है उन्होंने एकमत होकर फासीवाद के मूल्यों को उजागर किया है। तो हम यह कह सकते हैं कि हर वाद के उत्पन्न होने का कोई न कोई कारण होता है और अंत होने के भी कोई न कोई कारण होते हैं जो अचानक व्यवस्था को प्रभावित करते हुए बदलाव की स्थिति उत्पन्न कर देते हैं।

impo-Short questions and answers 

फासीवाद का अर्थ क्या है?

फासीवाद एक सर्वाधिकार वादी विचारधारा है, जिसक प्रतिपादन इटली के अधिनायक मुसोलिनी ने किया था। इस विचारधारा के अनुसार राज्य ही सब कुछ है व्यक्ति को राज्य के सामने कोई अधिकार नहीं है मुसोलिनी के शब्दों में, “सब राज्य के अंतर्गत है कोई भी राज्य से बाहर नहीं है और ना कोई राज्य का विरोध ही कर सकता है। ”

फासीवाद की परिभाषा क्या है?

फासीवाद की परिभाषा करते हो मुसोलिनी ने कहा है की आशीर्वाद कोई ऐसा सिद्धांत नहीं है जिसकी बात को विस्तार पूर्वक पहले से ही स्थिर कर लिया गया हो फासीवाद का जन्म कार्य किए जाने की आवश्यकता के कारण हुआ अथवा फासीवाद सैद्धांतिक होने के स्थान पर आरंभ से ही व्यवहारिक रहा है फासीवाद का कोई निश्चित सिद्धांत नहीं है मुसोलिनी ने इसे वास्तविकता पर आधारित बताया है ।

फासीवाद के स्रोत कौन-कौन से हैं?

फासीवाद के स्रोत सामाजिक डार्विनवाद ,बुद्धि विरोधवाद ,परंपरावाद, व्यवहारवाद ,आदर्शवाद है।

फासीवाद की उत्पत्ति कहां से हुई?

फासीवाद की उत्पत्ति प्रथम शिविर के दौरान हुई और सर्वप्रथम इटली से शुरू हुई।

फासीवाद का नेता कौन था?

फासीवाद का मुख्य नेता जिसने फासीवाद का आरंभ किया मुसोलिनी था।23 February 1919

फासीवाद का उदय सर्वप्रथम कहां हुआ?

फासीवाद का उदय सर्वप्रथम इटली से हुआ23 February 1919। फासीवाद दल के नेता या समर्थक काले रंग के कपड़े पहनते थे। और फासीवाद का जन्मदाता है मुसोलिनी था।

Post a Comment

और नया पुराने
Join WhatsApp