संविधान का अर्थ एवं परिभाषा
आधुनिक युग में प्रत्येक सभ्य राज्य का कोई- ना -कोई संविधान होता है। कोई भी राज्य बिना सविधान की उसी प्रकार नहीं रह सकता है जैसे कोई व्यक्ति बिना शरीर के नहीं रह सकता आधुनिक संवैधानिक राज्य सुनिश्चित नियमों तथा सिद्धांतों के आधार पर संगठित होते हैं । इन नियमों और सिद्धांतों को ही जो राज्य के ढांचे बनावट और संगठन को निर्धारित करते हैं, संविधान कहा जाता है।
संविधान का अर्थ ; संविधान आंग्न भाषा के कॉन्स्टिट्यूशन शब्द का हिंदी रूपांतरण है। कॉन्स्टिट्यूशन शब्द का प्रयोग मानव शरीर के ढांचे वह बनावट के लिए किया जाता है। जिस प्रकार मानव शरीर के संदर्भ में कॉन्स्टिट्यूशन का अर्थ शरीर के ढांचे वह संगठन से होता है उसी प्रकार राजनीतिक विज्ञान में कॉन्स्टिट्यूशन का तात्पर्य राज्य के ढांचे तथा संगठन से होता है। संविधान में लिखित और अलिखित नियमों का संग्रह होता है जिनके द्वारा एक और राज्य का स्वरूप संगठन कार्य क्षेत्र तथा अधिकार निश्चित होते हैं तथा दूसरी ओर नागरिकों के पारस्परिक संबंधों की विवेचना होती है।
संविधान का अर्थ एवं परिभाषा
परिभाषाएं— बहुत सारे विद्वानों ने अपने अपने विचार रखे हैं संविधान के प्रति की संविधान की परिभाषा क्या होगी-
(1)अरस्तू के अनुसार संविधान राज्य के कार्य से नागरिकों के अधिकारों को निश्चित करता है।
(2)ब्राइस के अनुसार संविधान ऐसे निश्चित नियमों का संग्रह होता है जिसमें सरकार की कार्यविधि प्रतिपादित होती है और जिनके द्वारा उनका संचालन होता है।
(3)डायसी के अनुसार संविधान का अभिप्राय उन सब नियमों से है जो प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से राज्य की सार्वभौमिक शक्तियों की वितरण अथवा प्रयोग को निर्धारित करते हैं।
(4) हरमन फाइनर के अनुसार संविधान आधारभूत राजनीतिक संस्थाओं की व्यवस्था होती है।
कुछ मुख्य बिंदु-
(1)एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से पारस्परिक संबंध।
(2)शासन और शासित में पारस्परिक संबंध।
(3)सरकार के स्वरूप तथा संगठन का निर्धारण और सरकार के विभिन्न अंगों के पारस्परिक संबंधों का निर्धारण।
(4)संविधान का संबंध उसे राजनीतिक प्रक्रिया से है जिसका उद्देश्य अनिवार्य रूप से शासन पर प्रभाव कारी नियंत्रण स्थापित करना है।
संविधान की आवश्यकता एवं महत्व
संविधान का अर्थ एवं महत्व प्रत्येक राज्य का कोई ना कोई संविधान अवश्य होना चाहिए। प्रत्येक राज्य में चाहे वह पिछला हुआ हो या विकसित संविधान अवश्य होता है इसके अनुसार वहां का शासन संचालित रहता है । जर्मन लेखक जेलिनेक का कथन है प्रत्येक राज्य के लिए संविधान होना अनिवार्य है स्वेच्छाचारी तथा निरंकुश राज्यों में भी किसी न किसी रूप से संविधान का अस्तित्व होता है कुछ लेखक विचार करते हैं कि इंग्लैंड में संविधान नहीं है फ्रांसीसी लेखक टॉप विलय का मत है इंग्लैंड में किसी संविधान का अस्तित्व नहीं है।
संविधान की आवश्यकता का महत्व को व्यक्त किया जा सकता है-
संविधान का महत्व
(1) नई दिशा से कार्य प्रारंभ करने की इच्छा
नई दिशा से कार्य प्रारंभ करने की इच्छा संविधान की आवश्यकता का कारण हो सकती है जैसे अमेरिकन उपनिवेश क्यों ने नए सिरे से अपना शासन कार्य करने का निश्चय किया। इसलिए उन्होंने 1787 ई० में फिलाडेल्फिया ने अपने संविधान का निर्माण किया। भारत स्वतंत्रता प्राप्त कर के नए सिरे से अपना शासन चलाना चाहता था इसलिए संविधान निर्मात्री सभा ने नई दिल्ली में 1946 ईस्वी से 1949 ईस्वी तक अपना संविधान बनाया जिसे 26 जनवरी, 1950 ईस्वी से लागू किया गया।
(2) विलय की दशाएं सुरक्षित रखना
संविधान की आवश्यकता का दूसरा कारण यह होता है कि जब कुछ राज्य मिलकर संघात्मक शासन की स्थापना करते हैं तभी आपने कुछ अधिकारों को सुरक्षित रखना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि विलय की दशाएं सुरक्षित रहे इसके लिए संविधान का निर्माण करना आवश्यक हो जाता है। आधुनिक युग में संविधानवाद के विकास ने संविधान को अतुलनीय महत्व प्रदान किया है। अमेरिका का संविधान इसका अच्छा उदाहरण है।
(3) शासन के स्वरूप और संगठन का निश्चय
प्रत्येक देश अपनी परिस्थितियों भौगोलिक दशाओं तथा इतिहास के आधार पर अपने लिए विशिष्ट शासन व्यवस्था का चुनाव करता है। इस शासन के स्वरूप को निर्धारित करने के लिए तथा इसको समुचित रूप से संगठित करने के लिए संविधान की आवश्यकता होती है।
(4) प्रजा की निश्चित मांगों की पूर्ति
जनता ऐस शासन तंत्र की स्थापना करना चाहती है जो स्थाई होने के साथ-साथ प्रजा की मांगों की पूर्ति भी करें तब संविधान की रचना होती है। ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के संविधान इसके अच्छे उदाहरण है।
(5) मौलिक सिद्धांतों की स्थापना तथा सुरक्षा
संविधान का धीरज जी की आत्मा की अभिव्यक्ति और सुरक्षा होती है। अमेरिकी संविधान स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए निर्मित है तो सुबह संघ का संविधान समाजवादी समाज की स्थापना करता है। भारत का संविधान भी न्याय स्वतंत्रता समानता तथा छात्र तबीयत के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर ही निर्मित किया गया है। लौकी के अनुसार संविधान किसकी अध्यक्षता में कार्य नहीं करता है। यह निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति की पद्धति है।
महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
संविधान का क्या अर्थ है?
संविधान आंग्न भाषा के कॉन्स्टिट्यूशन (Constitution) शब्द का हिंदी रूपांतरण है। कॉन्स्टिट्यूशन शब्द का प्रयोग मानव शरीर के ढांचे वह बनावट के लिए किया जाता है। जिस प्रकार मानव शरीर के संदर्भ में कॉन्स्टिट्यूशन का अर्थ शरीर के ढांचे वह संगठन से होता है उसी प्रकार राजनीतिक विज्ञान में कॉन्स्टिट्यूशन का तात्पर्य राज्य के ढांचे तथा संगठन से होता है। संविधान में लिखित और अलिखित नियमों का संग्रह होता है जिनके द्वारा एक और राज्य का स्वरूप संगठन कार्य क्षेत्र तथा अधिकार निश्चित होते हैं तथा दूसरी ओर नागरिकों के पारस्परिक संबंधों की विवेचना होती है।
भारत के संविधान का पिता कौन है?
भारत के संविधान का पिता डॉ भीमराव अम्बेडकर है।
संविधान का महत्व क्या है?
संविधान की आवश्यकता एवं महत्व प्रत्येक राज्य का कोई ना कोई संविधान अवश्य होना चाहिए। प्रत्येक राज्य में चाहे वह पिछला हुआ हो या विकसित संविधान अवश्य होता है इसके अनुसार वहां का शासन संचालित रहता है । जर्मन लेखक जेलिनेक का कथन है प्रत्येक राज्य के लिए संविधान होना अनिवार्य है स्वेच्छाचारी तथा निरंकुश राज्यों में भी किसी न किसी रूप से संविधान का अस्तित्व होता है कुछ लेखक विचार करते हैं कि इंग्लैंड में संविधान नहीं है फ्रांसीसी लेखक टॉप विलय का मत है इंग्लैंड में किसी संविधान का अस्तित्व नहीं है।
संविधान की परिभाषा क्या है?
अरस्तू के अनुसार संविधान राज्य के कार्य से नागरिकों के अधिकारों को निश्चित करता है।
संविधान की धारा कितनी है?
संविधान में 470धारा है।
एक टिप्पणी भेजें